ग़ज़ल:- केंचुल में ज़हरीले लोग
आकर्षक चमकीले लोग
केंचुल में ज़हरीले लोग |
आत्ममुग्धता की परिणति हैं
सुन्दर सुघड सजीले लोग |
भूख की आंच पे चढ़ते हैं नित
खाली पेट पतीले लोग |
झंझावाती जीवन सागर
हम शंकित रेतीले लोग |
चीर हरण करते आँखों से
कुंठाओं के टीले लोग |
स्वार्थ की धूप में पानी पानी
बे उसूल बर्फीले लोग |
पथरीली चौपाल देश की
चर्चा में पथरीले लोग |
गांव में आकर शहर खा गये
परिश्रमी फुर्तीले लोग |
गिरगिट जैसा रंग बदलते
चापलूस चमचीले लोग |
ज़्यादातर अव्वल आला हैं
अवसरवादी ढीले लोग |
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